वाल्मीकि रामायण Valmiki Ramayan By: Swami Jagdishwaranand Sarswati

वाल्मीकि रामायण Valmiki Ramayan By: Swami Jagdishwaranand Sarswati

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स्वामी जगदीश्वरानन्द सरस्वती आर्य जगत् के सुप्रसिद्ध विद्वान् , निरन्तर साहित्य साधना में संलग्न , रामायण के समालोचक एवं मर्मज्ञ लेखक थे । इस पुस्तक द्वारा आप अपने प्राचीन गौरवमय इतिहास की झांकी , मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन का अध्ययन , प्राचीन राज्यव्यवस्था का स्वरुप देख सकते हैं । – यदि आप भ्रातृ – प्रेम नारी- गौरव आदर्श सेवक , आदर्श मित्र , आदर्श राज्य , आदर्श पुत्र के स्वरुपों का अवलोकन या आप रामायण का तुलनात्मक अध्ययन करना चाहते हैं तो यह रामायण अवश्य पढ़ें । यह ग्रन्थ सैकड़ों टिप्पणियों से समलंकृत सम्पूर्ण रामायण 7000 श्लोकों में पूर्ण हुआ है ।

Commentary by Swami Jagdishwaranand,  After reading this edition you will emerge with greater courage , stronger will and purer mind . It contains selected shalokas out of the thousands of them which the author analyzed to be of Maharshi Valmiki . You will find the appeal and freshness of this epic poem transcend all limitation imposed by time , space , age , caste , creed , society and language . Swamiji revised this edition and suggested to include some authentic pictures . Now this is revised & computerized .

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DHAI MORCHE KA CHAKRAVYOOH

'अंकुर आर्य'आर्ष गुरुकुलीय प्रणाली में निष्णात विशारद व आचार्य हैं जिन्होने दर्शन, उपनिषद्, स्मृति, नीति, श्रीगीताजी, रामायण व महाभारत का अध्ययन कर विश्वभर में वैदिक ग्रंथों का प्रचार प्रसार किया। उन्होने 2013 में सरकारी नौकरी का लालच छोड गृह त्याग कर सम्पूर्ण भारत का भ्रमण किया व योग, अध्यात्म तथा गुरुकुलीय शिक्षा हेतु महर्षि दयानंद सरस्वती जी के सम्बोधन "वेदों की ओर लौटो" का संदेश लोगों तक पहुंचाया। गुरुकुलीय शिक्षा के बाद उन्होंने इस्लाम, इसाईयत का सनातन ग्रंथों से तुलनात्मक अध्ययन किया तथा हिन्दुओं के विरुद्ध चल रहे 'कन्वर्ज़न सिंडिकेट' को तोडने के लिए सीधे शास्त्रार्थ का बिगुल‌ फूंका तथा स्वामी श्रद्धानंद जी के शुद्धि आंदोलन को आगे बढाने हेतु अपनी आहुति देना आरम्भ किया।
जाकिर नाइक द्वारा वेद, उपनिषद्, गीताजी व रामायण पर लगाए सभी आक्षेपों का एक ही बार में निरुत्तर करने वाला जवाब देकर उन्होंने मनुस्मृति का अध्यापन किया जिसके द्वारा मनुस्मृति के विषय में फैलाई जा रही सभी भ्रांतियों का निवारण किया।
ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती दरगाह के खादिमों द्वारा 'सोफिया कॉलेज ब्लैकमेल कांड' पर पहली बार लोगों को पुनः जागृत करने के कारण राजस्थान सरकार द्वारा सन् 2020 में अभियोग भी चलाया गया। लेकिन उनका यह कार्य निरंतर जारी है।
तुलनात्मक अध्ययनव भ्रांति निवारण के इसी युद्ध में उनकी पहली कृति "ढाई मोर्चे का चक्रव्यूह" आपके हाथों में है जो देश के भीतर छिपे देश के दुश्मनों को पहचानने में सबसे बडा अस्त्र सिद्ध होगी

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