सत्यार्थ प्रकाश Satyarth Prakash By: Swami Dayanand Sarswati

सत्यार्थ प्रकाश Satyarth Prakash By: Swami Dayanand Sarswati

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सन् 1925 में महर्षि दयानन्द सरस्वतीजी के जन्म को सौ वर्ष पूरे हो चुके थे । इस अवसर पर मथुरा में जन्मशताब्दी समारोह का विश्व स्तर पर आयोजन किया गया , जिसके प्रधान आर्य जगत् के प्रमुख विद्वान् ऋषिभक्त , योगी एवं नेतृत्व करने की असीम क्षमता से युक्त महात्मा नारायण स्वामी जी थे । इस समारोह में लाखों की संख्या में लोग मथुरा पहुंचे थे जो एक अविस्मरणीय आयोजन बन गया था । इस अवसर की महत्ता को समझकर श्री गोविन्दरामजी ने ‘ सत्यार्थप्रकाश ‘ को प्रकाशित कर सस्ते मूल्य पर प्रसारित करने का संकल्प किया । महर्षि दयानन्द की इस महत्वपूर्ण कृति को बिना किसी प्रक्षेप के मूल रूप में प्रकाशित किया जा रहा है । कम्प्यूटर कृत कम्पोजिंग , शुद्ध सामग्री , नयनाभिराम छपाई , उत्तम कागज एवं सुन्दर आवरण युक्त यह संस्करण आपको अवश्य पसन्द आएगा और आप इससे लाभान्वित होंगे ऐसी आशा है । अंग्रेजी में भी उपलब्ध ।

Satyartha Prakasha is an exposition of Truth , Dharma and Revelation in the modern context . Swami Dayananda referred back to the permanent message of the Vedas and exhorted the Indians to renew and rebuild their life and culture in new forms which were relevant in the new age .

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DHAI MORCHE KA CHAKRAVYOOH

'अंकुर आर्य'आर्ष गुरुकुलीय प्रणाली में निष्णात विशारद व आचार्य हैं जिन्होने दर्शन, उपनिषद्, स्मृति, नीति, श्रीगीताजी, रामायण व महाभारत का अध्ययन कर विश्वभर में वैदिक ग्रंथों का प्रचार प्रसार किया। उन्होने 2013 में सरकारी नौकरी का लालच छोड गृह त्याग कर सम्पूर्ण भारत का भ्रमण किया व योग, अध्यात्म तथा गुरुकुलीय शिक्षा हेतु महर्षि दयानंद सरस्वती जी के सम्बोधन "वेदों की ओर लौटो" का संदेश लोगों तक पहुंचाया। गुरुकुलीय शिक्षा के बाद उन्होंने इस्लाम, इसाईयत का सनातन ग्रंथों से तुलनात्मक अध्ययन किया तथा हिन्दुओं के विरुद्ध चल रहे 'कन्वर्ज़न सिंडिकेट' को तोडने के लिए सीधे शास्त्रार्थ का बिगुल‌ फूंका तथा स्वामी श्रद्धानंद जी के शुद्धि आंदोलन को आगे बढाने हेतु अपनी आहुति देना आरम्भ किया।
जाकिर नाइक द्वारा वेद, उपनिषद्, गीताजी व रामायण पर लगाए सभी आक्षेपों का एक ही बार में निरुत्तर करने वाला जवाब देकर उन्होंने मनुस्मृति का अध्यापन किया जिसके द्वारा मनुस्मृति के विषय में फैलाई जा रही सभी भ्रांतियों का निवारण किया।
ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती दरगाह के खादिमों द्वारा 'सोफिया कॉलेज ब्लैकमेल कांड' पर पहली बार लोगों को पुनः जागृत करने के कारण राजस्थान सरकार द्वारा सन् 2020 में अभियोग भी चलाया गया। लेकिन उनका यह कार्य निरंतर जारी है।
तुलनात्मक अध्ययनव भ्रांति निवारण के इसी युद्ध में उनकी पहली कृति "ढाई मोर्चे का चक्रव्यूह" आपके हाथों में है जो देश के भीतर छिपे देश के दुश्मनों को पहचानने में सबसे बडा अस्त्र सिद्ध होगी

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