ऋग्वेद सम्पूर्ण (4 भाग) Rigveda Complete (4 Volumes) By: Swami Dayanand Saraswati
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ऋग्वेद सम्पूर्ण (4 भाग) Rigveda Complete (4 Volumes) By: Swami Dayanand Saraswati

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मन्त्र , शब्दार्थ , भावार्थ तथा मन्त्रानुक्रमणिका सहित प्रस्तुत । मन्त्र भाग स्वामी जगदीश्वरानन्दजी द्वारा सम्पादित मूल वेद संहिताओं से लिया गया है । चारों वेदों में आकार की दृष्टि से ऋग्वेद सब से बड़ा है । यह दस मण्डलों , 1028 सूक्तों तथा 10589 मन्त्रों में समाहित है । दर्शन , धर्म , अध्यात्म शास्त्र , नीति एवम् आचार शास्त्र , लौकिक ज्ञान विज्ञान , मानव के हित में ऐसी कोई ज्ञान की शाखा या विधा नहीं है जिसकी चर्चा वेदों में न आई हो । ” संसार के पुस्तकालय में ऋग्वेद सबसे प्राचीन है , इस बात को सभी पाश्चात्य विद्वानों ने स्वीकार किया है । भारत की धार्मिक परम्परा चारों वेदों को परमात्मा का अनादि ज्ञान मानती है जो सृष्टि के आरम्भ में मानव जाति के हितार्थ ऋषियों के माध्यम से दिया गया था । ऋग्वेद का प्रकाश अग्नि ऋषि के हृदय में हुआ था । ऋग्वेद की महिमा का वर्णन करते हुए मैक्समूलर ने कहा- जब तक पृथिवी पर पर्वत और नदियाँ रहेंगी तब तक संसार के मनुष्यों में ऋग्वेद की कीर्ति का प्रचार रहेगा ।

ऋग्वेद विज्ञानवेद है । इसमें तृण से लेकर ईश्वरपर्यन्त सब पदार्थों का विज्ञान भरा हुआ है । प्रकृति क्या है ? जीव क्या है ? जीव का उद्देश्य क्या है और उस लक्ष्य प्राप्ति के साधन क्या हैं ? ईश्वर का स्वरूप क्या है ? उसकी प्राप्ति क्यों आवश्यक है और वह किस प्रकार हो सकती है ? इत्यादि सभी बातों का वर्णन ऋग्वेद में मिलेगा । महर्षि दयानन्द ने ऋग्वेद का भाष्य करना प्रारम्भ किया था , परन्तु वह पूर्ण न हो सका । स्वामीजी सातवें मण्डल के 61 वें सूक्त के दूसरे मन्त्र तक ही भाष्य कर पाये । आगे का भाष्य उन्हीं की शैली में अन्य वैदिक विद्वानों ने पूर्ण किया । ऋग्वेद के दो ब्राह्मण हैं ‘ ऐतरेय ‘ और ‘ कौषीतकी ‘ । इसका उपवेद आयुर्वेद है ।

 Complete Rigveda Bhashya ( 10589 Hymns ) , Computerized for the first time , Accurate Matter , Clean and Charming Printing , Attractive Cover , Good Quality Paper , Hard Bound Binding , Beautiful Type Font , with Word Meaning and List of Mantras at the end Rigveda says- light the fire of life , ignite the cosmic Energy , and receive the Enlightenment of the Life Divine : Move together forward in unison , speak together , and with equal mind all in accord , know you all together as the sages of old , knowing and doing together , play their part in life and fulfil their duty according to Dharma . -Rg .

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DHAI MORCHE KA CHAKRAVYOOH

'अंकुर आर्य'आर्ष गुरुकुलीय प्रणाली में निष्णात विशारद व आचार्य हैं जिन्होने दर्शन, उपनिषद्, स्मृति, नीति, श्रीगीताजी, रामायण व महाभारत का अध्ययन कर विश्वभर में वैदिक ग्रंथों का प्रचार प्रसार किया। उन्होने 2013 में सरकारी नौकरी का लालच छोड गृह त्याग कर सम्पूर्ण भारत का भ्रमण किया व योग, अध्यात्म तथा गुरुकुलीय शिक्षा हेतु महर्षि दयानंद सरस्वती जी के सम्बोधन "वेदों की ओर लौटो" का संदेश लोगों तक पहुंचाया। गुरुकुलीय शिक्षा के बाद उन्होंने इस्लाम, इसाईयत का सनातन ग्रंथों से तुलनात्मक अध्ययन किया तथा हिन्दुओं के विरुद्ध चल रहे 'कन्वर्ज़न सिंडिकेट' को तोडने के लिए सीधे शास्त्रार्थ का बिगुल‌ फूंका तथा स्वामी श्रद्धानंद जी के शुद्धि आंदोलन को आगे बढाने हेतु अपनी आहुति देना आरम्भ किया।
जाकिर नाइक द्वारा वेद, उपनिषद्, गीताजी व रामायण पर लगाए सभी आक्षेपों का एक ही बार में निरुत्तर करने वाला जवाब देकर उन्होंने मनुस्मृति का अध्यापन किया जिसके द्वारा मनुस्मृति के विषय में फैलाई जा रही सभी भ्रांतियों का निवारण किया।
ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती दरगाह के खादिमों द्वारा 'सोफिया कॉलेज ब्लैकमेल कांड' पर पहली बार लोगों को पुनः जागृत करने के कारण राजस्थान सरकार द्वारा सन् 2020 में अभियोग भी चलाया गया। लेकिन उनका यह कार्य निरंतर जारी है।
तुलनात्मक अध्ययनव भ्रांति निवारण के इसी युद्ध में उनकी पहली कृति "ढाई मोर्चे का चक्रव्यूह" आपके हाथों में है जो देश के भीतर छिपे देश के दुश्मनों को पहचानने में सबसे बडा अस्त्र सिद्ध होगी

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